![](/assets/images/Chitragupt-Ji-Ki-Aarti-Om-Jai-Chitragupt-Hare.png)
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे
भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे
भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
सन्तनसुखदायी
भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवनयश छायी
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवनयश छायी
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,
पीताम्बरराजै
मातु इरावती, दक्षिणा, वामअंग साजै
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
मातु इरावती, दक्षिणा, वामअंग साजै
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,
प्रभुअंतर्यामी
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन, प्रकटभये स्वामी
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन, प्रकटभये स्वामी
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका,
करमें अति सोहै
वैजयन्ती वनमाला, त्रिभुवनमन मोहै
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
वैजयन्ती वनमाला, त्रिभुवनमन मोहै
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,
ब्रम्हाहर्षाये
कोटि कोटि देवता तुम्हारे, चरणनमें धाये
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
कोटि कोटि देवता तुम्हारे, चरणनमें धाये
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,
यादतुम्हें कीन्हा
वेग, विलम्ब न कीन्हौं, इच्छितफल दीन्हा
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
वेग, विलम्ब न कीन्हौं, इच्छितफल दीन्हा
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
दारा, सुत, भगिनी,
सबअपने स्वास्थ के कर्ता
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी, तुमतज मैं भर्ता
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी, तुमतज मैं भर्ता
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी,
शरणगहूँ किसकी
तुम बिन और न दूजा, आसकरूँ जिसकी
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
तुम बिन और न दूजा, आसकरूँ जिसकी
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं
चौरासी से निश्चित छूटैं, इच्छित फल पावैं
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
चौरासी से निश्चित छूटैं, इच्छित फल पावैं
ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,
पापपुण्य लिखते
'नानक' शरण तिहारे, आसन दूजी करते
'नानक' शरण तिहारे, आसन दूजी करते
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे
भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे
भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे
आरतियां
श्रेणी में प्रकाशित किया गया
चित्रगुप्त जी
टैग से संबंधित लेख
आरतियां
श्रेणी से संबंधित लेख
सभी देखें