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श्री महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन – ज्योतिर्लिंग

श्री महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन – ज्योतिर्लिंग

महाकालेश्वर एक विश्वविख्यात धार्मिक स्थल है जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह दुनिया के प्रसिद्ध 10 तंत्र मंदिरों में से एक है जिसमें भगवन शिव लिंग के स्वरुप में विद्यमान है।  ऐसी मान्यता है की इस जयोतिर्लिंग को भगवान शिव ने स्वयं स्थापित किया था।  जिस कारन से इसे 'स्वयंभू' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'स्वयं स्थापित'।  महाकाल मंदिर की महिमा अद्भुत  है , जिसका वर्णन कई वेद-पुराणों में व् कई माहान कवियों की रचनाओं में पाया गया है।  यह भारत की माहान धरोहरों में से एक माना जाता है।  मान्यता है की महाकालेश्वर जयोतिर्लिंग समय और काल से परे है, जहाँ महाकाल की अनुमति के बिना कुछ संभव नहीं।

श्री महाकालेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के प्राचीन शहर उज्जैन में स्थित है, जो अवंतिका के नाम से भी जाना जाता है।  राजा विक्रमादित्य के समय से उज्जैन/अवंतिका शिक्षा का श्रेष्ठ केंद्र रहा है, जिसके चलते जन मानस में शिक्षा, शैली, वैभव, सामर्थ्य और विज्ञानं का प्रचार प्रसार हुआ।  महाकाल मंदिर शिप्रा नदी के पावन किनारों पर स्थित है, जहाँ १२ वर्ष में एक बार सिंघस्थ  का आयोजन किया जाता है जिसमें लाखों  की संख्या में श्रद्धालु जमा होकर महाकाल का आशीर्वाद ग्रहण करते हैं व् मेले का आनंद उठाते हैं। यह स्थान तप, तंत्र विद्या और क्रियाओं के लिए भी विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।

महाकालेश्वर एक मात्रा ऐसा ज्योतिर्लिंग हैं जो दक्षिणमुखी है, जिसे तांत्रिक शिवनेत्र प्रथा में आस्था रखने वाले एक प्रतीक के रूप में देखते हैं।  श्री महाकालेश्वर मंदिर तीन स्तरीय अद्भुत ईमारत है जिसके प्रांगण में प्रति दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन एवं पूजा अर्चना के लिए आते हैं।  सबसे निचे भूमिगत स्तर पर महाकालेश्वर शिवलिंग स्थापित है। इसके साथ ही भगवान शिव के परिवार के सदस्यों की  मूर्तियां भी प्रतिष्ठित हैं। शिवपत्नी माता पारवती उतर दिशा में, पुत्र गणेश एवं कार्तिकेय पश्चिम तथा पूर्व में विराजमान हैं। शिव वाहन नंदी दक्षिण दिशा में सुशोभित हैं। सबसे ऊपरी स्तहल पर भगवन शिव नागेश्वर रूप में सुसज्जित हैं, जिनके दर्शन वर्ष में केवल नाग पंचमी के पावन उत्सव पर ही संभव हैं। महाकालेश्वर मंदिर के मध्य में एक पवित्र कुंड है जिसके जल में श्रद्धालु दुप्की लगाकर अपने आप को  धन्य मानते हैं। स्नानोपरांत यात्री महाकाल मंदिर की परिक्रमा करते हैं, जिसके दौरान वहां पर सुशोभित भगवान शिव के जीवन से दर्शायी गयी झांकियों का मंत्र गुनगुनाते हुए प्रफुलित महसूस करते हैं।  महाकालेश्वर मंदिर की पूजा विधि का एक एहम हिस्सा भस्मारती भी है। इस धार्मिक संस्कार के दुराण महाकाल का श्रृंगार भस्म से किया जाता है और साधु संत इससे भस्म से स्नान करते हैं अथवा मस्तक  पे इससे लगते हैं।  ऐसी धरना है की कुछ वर्ष पूर्व तक यह भस्म शमशान से लायी जाती थी।

मंदिर परिसर से कुछ ही दूर मंदिर द्वारा आयोजित भोजन भंडार स्थित है जहाँ सभी तीर्थार्थीयों को नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है। ऐसी परंपरा है की कोई भी मानव मंदिर परिसर के ५ किलोमीटर की प्रधि के अंदर भूके पेट न सोये, यह भोजनालय इसको चरितार्थ करता है।

मंदिर में मिलने वाला मेवा प्रसाद ग्रहण किये बिना कोई भी तीरतार्थी यात्रा को पूर्ण नहीं मानता। भोजनालय के अलावा मंदिर परिसर के आस पास कई अखाड़े एवं धर्मशालायें उपलब्ध हैं।

सावन के पावन माह में महाकाल के तीरथ स्थल का नज़ारा देखते ही बनता है। देश व् दुनिया से लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस अवसर का आनंद लेने के लिए पहुँचते हैं। महाशिवरात्रि के पर्व पर भी एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें भरी संख्या में विदेशी पर्यटक भी शामिल होते हैं।

महाकाल के मंदिर ने उज्जैन को विश्व के पर्यटक केंद्र के मान चित्र पर खड़ा कर दिया है। उज्जैन सभी बड़े शहरों से सड़क व् रेलमार्ग के द्वारा भली भांति जुड़ा है। हवाई यात्री इंदौर में स्थित देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा का इस्तेमाल करते हुए आसानी से उज्जैन पहुँच सकते हैं।   उज्जैन से यह करीब ५४ किलोमीटर की दूरी पर है।

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